शुक्रवार, 25 जनवरी 2019














 विश्व मैत्री मंच ने मनाया मशहूर लेखिका संतोष श्रीवास्तव का जन्मदिन
 23 नवंबर 2018 
रूपेंद्र राज
संतोष श्रीवास्तव जी सामयिक हिंदी साहित्य का  चमकता सितारा, हम सबकी चहेती ,एक कुशल साहित्यकार,एक मार्गदर्शक,और सबसे बड़ कर एक दोस्त।
आइए साथियो, आज मंच पर खुशमिज़ाज, दिलअज़ीज़  *संतोष दी के जन्मदिन*  को उनके लिए यादगार बनाते हुए उनसे जुड़े संस्मरण ताज़ा करते हैं।
आइए जानते हैं संतोष दी को उनकी रचनाओं के माध्यम से और उनकी कहानियों ,उपन्यास और उनकी लेखनी से उभरते हुए उनके व्यक्तित्व को आपकी दृष्टि से  आज मंच पर रखते हुए संतोष दी के जन्मदिन की शुभकानाएँ प्रेषित करते हैं।

मधु सक्सेना: एक शेर समर्पित है सन्तोष के लिए जिसमे उनके जीवन का सच निहित है ....

जलाना आग सीखा पत्थरों से,यूँ तो आदम ने
हुनर पर खेलने का आग से हव्वा को आता था ...

 प्रमिला वर्मा: जन्मदिन की शुभकामनाएं
 23 नवंबर संतोष दी का जन्मदिन है ।उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।
शनैः -शनैः उन्नति और सफलताओं की ओर अग्रसर होते हुए आज उन्होंने साहित्य जगत में जो मुकाम हासिल किया है, वह निश्चय ही सराहनीय है। मुझे याद है जब धर्म युग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, कहानी, सारिका ,नई कहानियां और भी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में संतोष दी की कहानियां लगातार छपती रहती थीं, और सुदूर बर्फीले स्थलों में तैनात सैनिकों के लिए जहां बिनाका गीतमाला अपना कार्यक्रम पेश करता था ।वहीं संतोष दी की कहानियों के अनेक प्रशंसक थे ।जो यदा -कदा किसी के हाथ या स्वयं कोई  सौगात  उन्हें  भेजते थे । जिनमें शहद, अनन्नास ,खजूर, अखरोट आदि होते थे। स्नेह प्रगट करने का सैनिकों का यह तरीका , की सराहना सभी करते थे। सीमा पर तैनात सैनिकों की  वे बहन थीं। ऐसा पाठक वर्ग शायद ही किसी को प्राप्त होगा ।
फिर, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों को प्राप्त करना उनकी लेखकीय प्रतिभा का ही परिणाम है ।वे राष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय ख्यात लेखिका हैं। जिसकी जिंदगी में इतना बड़ा हादसा हुआ की एकमात्र संतान हेमंत ने छोटी सी आयु में संसार को अलविदा कह दिया हो। और, फिर उसकी मां दृढ़ संकल्प से खड़ी होकर सिर्फ और सिर्फ साहित्य को समर्पित हो गई हों। उन्होंने अपने दर्द को अपनी ताकत बनाया । यह भी एक उदाहरण है हम सब के लिए।
उनके लेखन को उनकी ऊर्जा, और नित नई सफलताओं को मेरी अनेक शुभकामनाएं।....
 आशालता ओझा ।जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएँ एवं शुभाशीर्वाद ।साहितय-सेवा जीवन भर कर सकें नित नया सुन्दर काव्य रचती रहें और पाठकों को अलौकिक आनंद की अनुभूति  कराती रहें ।आपका जीवन धरती के लिये एक वरदान है ।

 नीता श्रीवास्तव: *कहे क्या शुक्रिया उस मेहरबाँ से* 
*बचाया जिसने हर तीरे निशा से*
*चलो तालीम ले कुछ आज उन से* 
*गुजर कर आए हैं जो इम्तहां  से* 
समर्पित हैं आज हम सबकी प्यारी संतोष दी को जो  दिल में कितने ही दर्द समेटे होठों पर मुस्कुराहट लिए  बन कर जिंदगी के हजारों इम्तहान से गुजर कर  साहित्य जगत की ऊंचाइयों को छूते हुए भी हर क्षेत्र की   माटी की सौंधी सुगंध दिल में बसा कर हम सबकी प्रेरणा बन कर एक अच्छी मार्गदर्शक के रूप में हमारे साथ हैं और आज उनके जन्म दिन पर दिल से कोटिश बधाइयां |         एक शेर लिखा था मैंने शायद दी की सख्शियत पर ही 
*दूर होंगे अँधेरे मगर राह में*
 *आगे आगे कोई चाँद सा तो चले*
और  हम सबके आगे रोशनी बिखेरते चल रहीं हैं  मेरी अपनी दीदी, एक दोस्त , बहन और भी बहुत कुछ जिन्होंने रसोई से मुझे निकाल कर  मेरे हाँथ में कलम थमाई जो आज तक सरक  रही है |
   पिछले  साल का  रायपुर ट्रिप हमेशा याद रहेगा दीदी जब आपने अपनी कलम एक तरफ रख कर भरपूर मौज मस्ती की और पूरा माहौल खुशनुमा कर दिया तो यही खासियत आपकी है जो हम सबको अपना बना लेती है और आप हमारी हो कर रह जाती हैं |
   मेरी  प्यारी दी को शुभकामनाएं , बधाइयां और प्यार


सरस दरबारी: आदरणीय दी, जन्मदिन की ढेर्रर्रर सारी शुभकामनाएँ। 

बहुत खुश हूँ दी जीवन में 40 वर्षों के बाद आपसे पुनः मिलना हुआ और एक परिचय एक प्रगाढ़ रिश्ता बन गया। आपने हम जैसे बहुत से लोगों को मंच से जोड़कर एक नए आत्मविश्वास का संचार किया है।

शुक्रिया दी। अपना स्नेह यूँही बनाये रखें और हमारी प्रेरणा बनी रहें...

गुलशन आनंद: अपने नाम 'संतोष' को सार्थक करने वाली आदरणीय संतोष जी आप धन्य हैं। आज आपके जन्मदिन पर प्रभु जी यही मंगल कामना करते हैं कि आप में यह ऊर्जा, लग्न हिंदी साहित्य के प्रति समर्पण बना रहे। आप इस विश्व मैत्री मंच के के माध्यम से हम सभी साहित्य प्रेमियों का मार्ग प्रशस्त करती रहें। भगवान आपको स्वस्थ रखे और दीर्घायु बनाये।

 साकेत सुमन चतुर्वेदी
 मैंने केरलभम्रण, हेमंत ।मेरे छोटे भाई का भी यही नाम है। के कार्यक्रम में मुंबई या अभी भोपाल में उनके सान्निध्य में ये महसूस किया कि वे हर छोटे बडे से बहुत प्रेम और
आत्मीयता से मिलती है,संबंध बनाये रखने में ग्रामीण हैं। हर छोटे बडे का सम्मान और सद्व्यवहार का हरदम अपनी दम तक पूरा ध्यान रखती हैंः
शुभकामना
अर्चना अनुपम: अस्वस्थ देख छिटक पडी़ पत्तियां पेड़ की दुख से,
दिवाल पर चढी बेल की तरह आईं संतोष श्रीवास्तव जी पर  सहारा बन 

आदरणीया संतोष श्रीवास्तव जी का ये मिजाज उनके संवेदनशील स्वभाव से परिचय कराता है ।
 पूर्णिमा ढिल्लन: प्रिय सखी संतोष जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं ,आज विश्व मैत्री मंच संतोष जी के जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाओं से सुसज्जित है
 यह आपके अपनत्व और स्नेह का जादू ही है जो सबको आपकी ओर आकर्षित कर आपके प्रेम पाश से बांध लेता है
साहित्य की अविरल धाराओं से निकलने वाला संगीत आपके जीवन की अनमोल धरोहर है और यही ईश्वर द्वारा दिया गया बेशकीमती तोहफा है, इस तोहफे ने आपके जीवन को बहुत खूबसूरत बना दिया है lइस खूबसूरत तोहफे से आपका जीवन सजा रहे !यही ईश्वर से प्रार्थना हैl ईश्वर से आपकी अच्छी सेहत और दीर्घायु की कामना करती  हूं l
  हिंदी साहित्य की मल्लिका साहित्य के चिराकाश में सदा विचरण करती रहे l आपकी लेखनी से साहित्य की ऐसी धाराओं का प्रवाह हो
जो ऐसे स्तंभ स्थापित कर सके कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर बन जाए l बस यही ईश्वर से प्रार्थना हैl
कलम आपका सहारा बन आपको ताकत देती रहे,
शब्दों के बेशकीमती मोतियों से सदा  माला पिरोती रहे 
कभी न टूटे लेखन की यह लड़ियां आपकी,
इन्हीं मालाओं के सम्मान से आपका व्यक्तित्व दमकता रहेl
     बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाई

                   
मँजुल भारद्वाज: आदरणीय सखी संतोष को जन्मदिन  की शुभकामनाएँ! उनके सारे सपने पूर्ण हों।  जीवन से उनका इश्क़ है। उनको समर्पित यह रचना ..
.तुझसे इश्क है मेरा 
क से कौल
स से सत्य 
म से मेरा
कसम,तेरी कसम 
कौल सत्य है मेरा 
तू साक्षी है 
तेरे सिवा है कौन मेरा 
ऐ जिंदगी तुझसे इश्क है मेरा
तेरी चाहत में सुबहो शाम 
दिल धडकता है मेरा 
चाहो तो पूछ लो इन सांसों से
जो गाती है सरगम तुम्हारा 
धूप छाँव की आँख मिचोली 
बड़ी सुहानी है 
तेरी फ़ितरत बड़ी रूहानी है 
तू एक जगह कहीं ठहरती नहीं 
जो ठहर जाए वो जिंदगानी नहीं 
रवानगी तेरा शबाब है 
खूबसूरती तेरा मिजाज़ है 
कसम तेरी यह सच है 
तू ही मेरी ज़मी 
और आसमान है!

...
मँजुला श्रीवास्तव:
 जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं
भूल न जाएँ
जन्मदिन
हम आपका
इसीलिए 
बँध गए
जन्मों के 
बंधन में आज
हमारी प्यारी 
संतोष दी पे 
हमें है नाज़
निहालचंद : क़दम-क़दम पर मिले सफलता 
वढ़ता   जाये  आदर सत्कार
हँसी ख़ुशी घर आँगन झूमे 
बनकर मेघ मल्हार 
सतरंगी सपनों की 
दुनिया हो जाये साकार
                  उपरोक्त पंक्तियों के माध्यम से आदरणीया संतोष जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें । 
     निहाल चन्द्र शिवहरे
 मोहिनी ठाकुर; सच कहा आपने !!संतोषजी एक अदभुत वरदान ही तो है ईश्वर का जो हमारे पास है और हमे उसपर गर्व भी है
नियमो मे सख्त लेकिन संवेदनाऑ से भरा एक बेहद कोमल मन है उनका !!!मै मधु की शुक्रगुजार हूँ कि उनकी बदौलत मेरी संतोषजी से मुलाकात हुई जब 2013 मे   मधु उन्हे लेकर बस्तर भ्रमण के लिए आई साथ मे अनिता सक्सेना भी थी उनके साथ बिताये वो दो तीन दिन  यादगार बन गये जब हम यहाँ की खूबसूरती को महसूस करते घूम रहे थे कभी चाँद भी हमारे साथ होता उसे निहारते ,कविताएँ करते ,गीत गाते चलते जाते  मै तो स्थानीय होने के कारण उन सबकी राजू गाईड बन गयी थी और ड्राईवर के बाजू वाली सीट पर बैठी गाईड करती जाती थी कि किधर मुडना है या कहाँ जाना है ,इसी बहाने मुझे तो एक प्यारी दोस्त और छोटी बहन मिल गयी और मै बहुत  खुश  हूँ उसे पाकर !!!मेरी ढेर सारी दुआएं है जन्मदिन की उसके साथ बहुत खुश रहे हमेशा और उसकी लेखनी से झरता रहे साहित्य का झरना, निरंतर , कलकल करता हुआ......

 मोहिनी ठाकुर
 जगदलपुर
पद्मा शर्मा: एक साहित्यिक समूह को विदेशों तक पहुँचाने वाली कर्मठ, साहित्य पटल की सुविख्यात, सहज एवं सरल व्यक्तित्व की धनी संतोष जी को जन्मदिन की अनेकानेक शुभकामनाएँ
 ज्योति गजभिए: हम भी आपके साथ हैं, साहित्यिक सफर का आनंद उठाते, स्वयं के लिए जीना आपसे ही सीखा है,जी हाँ संतोष जी आपके लिए ही कह रही हूँ, जन्मदिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएँ,जहाँ भी रहें हरदम खुश रहें, बधाई इस शुभदिवस पर
महिमा वर्मा: दिल से बार-बार यही आ रही है सदा 
ग़म दूर रहें,खुशियाँ कभी न हों जुदा
एक तारा भी गर आप माँगे दुआ में 
पूरा आसमान  ही आपको दे दे खुदा 

शब्द हमारे दिल की दुआ,बन के आये हैं ,
जन्मदिन पर यही सौगात लेकर आये है,,
जन्मदिन की हार्दिक बधाई और  ढेssssssssssssssssssssssssssssर सारी शुभकामनाएँ, आ० संतोष दीदी 
 चँद्रकला त्रिपाठी: आदरणीयां
संतोष जी को जन्म दिन की अनंत  शुभकामनाएं ।
    मै  संतोष जी से एक ही बार रायपुर में मिली थी सामूहिक रूप से ।पिछले साल भोपाल हिंदी भवन में  सांसद मुरली मनोहर जी के कार्यक्रम मे मुलाकात हुई वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चन्द्र शाह से मुलाकात हुई ।संतोष जी ने मुझे दूर से ही पहचान लिया और  बडे प्यार
से गले लग  गई । बहुत अच्छा लगा ।
आशालता r: किसी शुभचिंतक ने मेरा नाम साहित्य-मंजूषा में शामिल करवा दिया ।पहिले दिन की काव्य रचना के लिये शब्द मिला बिकाऊ ।मुझे वह शब्द ही पसंद नहीं आ रहा था लेकिन बाद में कुछ अच्छा सा भाव मन में आगया ।जब रचना संतोषजी के सामने आई ,उन्होंने उसपर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा शानदार भावाभिव्यक्ति ।मेरा प्रथम परिचय उनसे उत्साह वर्धक ही रहा ।दूरे सप्ताह मैंनने गर्मी शब्द पर कविता लिखी उनहोंने इतने सहृदय तरीके से मुझे सुझाव दिया  कि एक पंक्ति के अंत में धूप न लिखकर यदि घाम लिख दिया जाये तुक लय मिलाने के लिये तो कैसा हो?मुझे वह बहुत पसंद आया फिर तो ,मुझे उनकी समीक्षा का इं तिजार रहने लगा ।ऐसी दिल -अजीज़ हैं हमारी प्रिय संतोषजी जिन्होंने मुझे माँ का दर्जा देकर मेरा मन जीत लिया है ।
नीता श्रीवास्तव; एक बार फिर संतोष दीदी के लिए 
'उन्नति के सोपान मिले प्रगति के प्रतिमान मिले 
जीवन पथ पर तुम्हे सदा ही गौरव और सम्मान मिले 
सब सखियों की यही  दुआएं 
और देते शुभकामनाएं 
जन्म दिन हर साल हम यूं हीं मनाएं '
नीता श्रीवास्तव

संतोष श्रीवास्तव: अभिभूत हूँ। इतनी खूबसूरती से मेरा जन्मदिन विश्व मैत्री मंच के मंच पर मनाना केवल आप सबके ही प्रेम से संभव है ।रूपेंद्र  ने आगाज किया और आप सब उसमें शामिल होते गए। सारे दिन आपकी टिप्पणियाँ छलक आई आँखों से पढ़ती रही ।शाम को मेरी भोपाल की कुछ सखियाँ क्षमा पांडे, अंजना श्रीवास्तव, सुनीता शर्मा, मधुलिका सक्सेना ने भी घर आकर मुझे बहुत खुशी दी। मेरे लिए गीत गाए कविताएँ पढ़ीं। इससे बढ़कर और क्या चाहिए।
 मैं सच में बहुत खुशनसीब हूँ। मेरा परिवार भगवान ने लिया लेकिन उसके बदले इतना बड़ा परिवार दे दिया कि आज मैं गर्व से भरी हुई हूँ। आपका प्यार मेरी धरोहर है।


रविवार, 7 अक्तूबर 2018

 राही सहयोग फाउंडेशन द्वारा वर्तमान में विश्व के 100 टॉप के लेखक लेखिकाओं में मेरा नाम भी शामिल


भारत सरकार द्वार मालवगढ की मालविका का विश्व स्तर पर चयन
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भारत सरकार ने हिंदी की उच्चस्तरीय पुस्तकों में से कुछ अंश चुनकर विश्व भर के प्रकाशन संस्थानों को शोध एवं तकनीकी प्रयोग( इलेक्ट्रॉनिक्स )हेतु भेजने का निर्णय लिया है । इसके लिए मेरे उपन्यास "मालवगढ़ की  मालविका" का चयन भी किया गया है।  हिंदी को ग्लोबल लोकप्रियता दिलाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का यह कदम भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उठाया है। मालवगढ़ की मालविका उपन्यास मेरी 5 वर्षों की मेहनत थी। जिसका प्रथम संस्करण हार्ड बाउंड कव्हर का मेधा बुक्स दिल्ली से छपा था और अब उसका पेपरबैक संस्करण भी प्रकाशित हो गया है।