गुरुवार, 14 सितंबर 2017

सोवियत रूस की राजधानी मॉस्को से बटोरे यादगार लम्हे
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मास्को दुनिया के उन बड़े शहरों में है, जहां की नाइट लाइफ, भव्य इमारतें, म्यूजियम और दुर्लभ कलाकृतियों का आकर्षण देखते ही बनता है। ऐतिहासिक और पुरातात्विक में रुचि रखने वालों के लिए भी यह उम्दा शहर है। महलों और भवनों की वास्तुशैली देखते ही बनती है। यही कारण है कि इस शहर को क्रिएटिविटी का खजाना भी कहा जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध की स्मृति में बना विक्ट्री पार्क शहीदों की याद दिलाता है। मस्कवा नदी के किनारे ऊँचाई पर स्पैरो हिल्स एक ऐसा ऑब्जरवेशन प्लेटफार्म है जहां से मास्को यूनिवर्सिटी, luzhniki स्टेडियम, लेनिन स्टेडियम, naryshkin baroque towers इत्यादि देखे जा सकते हैं द्वितीय विश्वयुद्ध में रेड स्क्वायर विश्व का चौथा सबसे बड़ा स्क्वायर है जहां लेनिन टोम, सेंट बासिल कैथेड्रल आदि के खूबसूरत स्थापत्य हैं।

क्रेमलिन की दीवार यादों में बस गई
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सामंतवादी युग में रूस के विभिन्न नगरों में जो दुर्ग बनाए गए थे वे क्रेमलिन कहलाते हैं।इन सारे दुर्ग के चारों ओर घिरी दीवार क्रेमलिन की दीवार के नाम से मशहूर है।जो
करीब एक वर्ग किमी. में फैली है। इस मजबूत दीवार और भव्य इमारतों को देखकर रोमांच होता है। इसकी बनावट को देखकर रूस की नौकरशाही की भव्यता की अनुभूति होती है। एलेग्जेंडर गार्डन ,व्हाइट हाउस (रशियन फेडरेशन) थिएटर स्क्वायर ऐतिहासिक समय में मानो खींच ले जाते हैं।
सेंट पीटर्सबर्ग

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सेंट पीटर्सबर्ग नेवा नदीके तट पर स्थित रूस का एक प्रसिद्ध नगर है। यह रूसी साम्राज्य की पूर्व राजधानी थी। सोवियत संघ के समय में इसका नाम बदलकर लेनिनग्राद कर दिया गया था जिसे सोवियत संघ के पतन के बाद पुन: बदलकर सेंट पीटर्सबर्ग कर दिया गया है।
अब यह सोवियत रूस की सांस्कृतिक राजधानी है ।यहां का हरमिटेज म्यूजियम संगमरमर पर सोने की अद्भुत कलाकृतियों से बेहद समृद्ध इतिहास को समेटे एक ऐसा महल है जिसमें 350 कमरे हैं ।रशियन म्यूजियम सेंट, इसाक कैथेड्रल, पीटरहॉफ महल और पार्क, हाइड्रोफाइल आदि दर्शनीय स्थलों से समृद्ध यह शहर बेहद खूबसूरत है। 












मंगलवार, 5 सितंबर 2017




















विश्व मैत्री मंच ,(संलग्न हेमंत फाउंडेशन) का छठवां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सोवियत रूस की राजधानी मॉस्को में संपन्न ..........
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अगस्त 2017 मॉस्को के मैक्सिमा सभागार में विश्व मैत्री मंच द्वारा आयोजित भारत और मॉस्को के रचनाकारों का साहित्यिक सम्मेलन विभिन्न सत्रों में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के आरंभ में संस्था की अध्यक्ष  संतोष श्रीवास्तव ने अपने स्वागत भाषण में सभी का स्वागत करते हुए संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।विशिष्ट अतिथि के रुप में पधारे दिशा फाउंडेशन मॉस्को के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर सिंह, डॉ सुशील आज़ाद  एवं डॉ विनायक के कर कमलों द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन हुआ। इस सत्र की मुख्य अतिथि डॉ माधुरी छेड़ा , अध्यक्ष आचार्य भगवत दुबे एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा डॉ विद्या चिटको, डॉ रोचना  भारती, डॉ प्रमिला वर्मासंतोष श्रीवास्तव एवं कमलेश बख्शी की पुस्तकों का विमोचन हुआ ।
प्रमिला शर्मा, प्रभा शर्मा तथा अनुपमा यादव के कुशल अभिनय की एकांकी नाट्य  प्रस्तुति तथा विनायक जी के द्वारा गाई अहमद फराज की गजल ने समा बांध दिया ।
आगरा से आई डॉ प्रीति अग्रवाल की एकल चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। सम्मेलन में हिंदी साहित्य और पर्यटन विषय पर विषय प्रवर्तक डॉ विद्या चिटको , डॉ रोचना भारती, रघुवीर सिंह दहिया और डॉ राजकुमार सुमित्र ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
सभी प्रतिभागियों को कमलेश बख्शी और डॉ प्रमिला वर्मा के कर कमलों द्वारा स्मृति चिन्ह अंगवस्त्र एवं मोतियों की माला प्रदान की गई।
 
संचालक द्वय  संतोष श्रीवास्तव, डॉ भावना  शुक्ल ने समारोह को अपने कुशल संचालन से जीवंतता प्रदान करते हुए सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर भारत से मॉस्को  पधारे डॉ प्रदीप अग्रवाल, शारदा गायकवाडजगदीश छेडावसंत शाह  अर्पणा शर्मा, माला गुप्ता, इंदु तिवारी, डॉ शर्मिला बक्शी, डॉ बीना खूबचंदानी, डॉ विजय लक्ष्मी शर्मा,कलावती शर्मा की विशेष उपस्थिति रही। यह सम्मेलन भारत मॉस्को वैश्विक साहित्य  की दिशा में एक नई पहल के रूप में दर्ज किया गया।