गुरुवार, 18 दिसंबर 2014


संतोष श्रीवास्तव को लघुकथा सारस्वत सम्मान



संतोष श्रीवास्तव को लघुकथा सारस्वत सम्मान
अखिल भारतीय लघुकथा मँच द्वारा पटना में आयोजित 27वें अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन में(9 नवँबर 2014) को लेखिका संतोष श्रीवास्तव को हिन्दी लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने हेतु लघुकथा सारस्वत सम्मान डॉ रामवचन राय( प्रसिद्ध आलोचक एवं विधान पार्षद बिहार) के कर कमलों द्वारा प्रदान किया गया.इस अवसर पर संतोष जी ने अपनी चर्चित लघुकथाशहीद की विधवा का पाठ किया जिसका सिंधी और पँजाबी भाषा में अनुवाद हो चुका है.उन्होने अपने वक्तव्य में लघुकथा को जँगल से होती हुई ऐसी पगडँडी बताया जो मनुष्य को भटकने से बचा ले जाती है और सडक पर ला छोडती है. कार्यक्र्म का सँचालन डॉ मिथिलेश कुमारी मिश्र ,अन्य सम्मानित लघुकथाकारों जिनमें लघुकथा की महान हस्ती श्री रामेश्वर कॉम्बोज हिमाँशु हैं का परिचय डॉ ध्रुवकुमार एवं स्वागत डॉ सतीशराज पुष्करणा ने किया. समारोह में पढी गई लघुकथाओं की समीक्षा रामेश्वर कॉम्बोज हिमाँशु ने की...

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू..और शर्मनाक बयानों का दौर मुम्बई में खत्म... चुनाव सँपन्न। मगर क्या कुर्सी बदलने से ही बदलाव आयेगा? क्या बदलाव महज़  अपने मुँह मियाँ मिट्ठू..और शर्मनाक बयानों का दौर मुम्बई में खत्म... चुनाव सँपन्न। मगर क्या कुर्सी बदलने से ही बदलाव आयेगा? क्या बदलाव महज़ कानूनी चीज़ या प्रशासनिक ढाँचे का नाम है ?नहीं ...हमें खुद को बदलना है। हम बदलेंगे तो समाज बदलेगा, देश बदलेगा। फिर चाहे केजरीवाल आएँ,राहुल आएँ,मोदी आएँ...क्या फर्क पडता है? सीधी सी बात है ,ये नेता हमारे लिए व्यवस्था की
कुछ बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने वाली मशीनें मात्र ही तो हैं। जब तक हमारे अंदर सही सोच,नैतिकता और समझ विकसित नही होगी तब तक हमारी नियति एक झूठी उम्मीद से दूसरीझूठी उम्मीद के बीच लगातार सफर करती रहेगी और नेताओं की अगली पीढियाँ तरती रहेंगी।